मै वादा करती हूँ.....नीतू ठाकुर
"मायका " इस शब्द में छुपे अपार प्रेम को एक विवाहिता से बेहतर कौन समझ सकता है। बाबुल की दहलीज पार करने के बाद ही मायके का सही मोल पता चलता है। हर विवाहिता के ह्रदय के बहुत निकट होता है मायका, जिस के जिक्र मात्र से असंख्य भाव एक साथ उमड़ आते हैं चेहरे पर। अपनों से दूर होने का एहसास जहाँ आंखे नम कर देता है वहीँ कुछ खट्टी-मीठी यादें चेहरे पर मुस्कान लती है। दुनिया में मायके से अच्छी कोई जगह नही हो सकती जहाँ मन को सच्ची शांति मिले। पर विभा के मन में मायके के प्रति इतना क्रोध भरा था की वहां जाना तो दूर उस जगह का नाम सुनना तक उसे मंजूर न था। विभा की इस बेरुखी के कारण उसकी माँ भारती बहुत परेशान थी। विभा के पिता विजयकांत बहुत बीमार चल रहे थे ,और उनकी अंतिम इच्छा थी की एक बार अपनी बेटी को देखे। भारती ने कई बार फोन किया पर विभा मायके आने को राजी न हुई। अंतिम प्रयास के रूप में उसने विभा के पती विनोद को फ़ोन कर के अपने पती की बीमारी के बारे में बताया और विभा को भेजने का अनुरोध भी किया। विनोद एक बहुत ही समझदार और नेक व्यक्ति थे। उन्होंने बात की गंभीरता को समझा और तुरंत ही विभा को म